उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों के बाहर निकलने का हाल काफी बेहड़क है। यह घटना भारत देश में धधकते हुए न्यूज़ बन चुकी है। इस समस्या का हल तलाशते हुए कार्यकर्ता और सुरक्षा अधिकारी मौजूद है। जब से यह खबर सामने आई है, देशवासियों के मन में दुख और चिंता की लहर उभर आयी है।
इस मामले में एक अफ़वाह भी फैली हुई है जो की बात कुछ इसी तरह है की इस पूरी घटना की जिम्मेदारी बीएसएनएल (Bharat Sanchar Nigam Limited) को दी जा सकती है। हालाँकि, इस वेबसाइट ने किसी भी प्रकार की वार्ता की बात की है।
सिलक्यारा टनल में इस दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले, श्रमिकों को टनल में जाने के लिए समय-समय पर तार सुरंग को बंद किया जाता रहता है। परंतु उनमें एक मृतक स्तिथि हो जाने के कारण, कई लोग वहां गिरफ़्तार हो गए। अब, उत्तरकाशी की सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के कार्यकर्ता संचालित वार्ता कोष ने फूट दावनल रखा है जो की उचित निर्धारण के लिए उपयोग होगा।
मौजूदा स्थिति के बावजूद, सरकार के तरफ से इस घटना को बड़ी चिंता का विषय बनाया गया है। केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने इस घटना की जांच करने के लिए गठित कमेटी का गठन किया है। इसके साथ ही, न्याय मंत्री रविंद्र झांकड़ा ने इस मुद्दे को गंभीरता से ले रखा है और इसका निष्पादन होने तक कठोर कानूनी कार्यवाही करने की भी दी भरोसा।
साथ ही, इस मुद्दे के संबंध में निजी कंपनी बीएसएनएल (Bharat Sanchar Nigam Limited) का बयान भारतीय मीडिया द्वारा खोला जा रहा है। इसका कारण यह बताया जा रहा है की टनल में होने वाले दुर्घटना का जिम्मेदार बीएसएनएल है। इसके लिए समाचार प्रसार छानबीन करनी जरूरी है।
यह सभी प्रयासों के बावजूद अभी तक सही हल नहीं निकला है। इस दुर्घटना के दौरान फंसे व्यक्तियों के परिजनों को डर और आशंका के साथ गुजरना पड़ रहा है। उनकी तारीफ़ पर मौजूदा हालात और अनुभवों से आए हुए सभी लोग गर्व महसूस कर रहे हैं।
अभी तक, इस वेबसाइट ‘E-Postmortem’ के ऐडिटर नेहा कौशिक ने किसी भी प्रकार की वार्ता को बात की है नहीं। हालांकि, उसने यह भी कहा है की वो लोगों की समस्याओं को गंभीरता से ले रही है और जल्दी ही उनका पता चलेगा की इस मामले में उन्हें क्या कार्रवाई लेनी चाहिए।
इस दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्र में कार्रवाई जारी है और आधिकारिक जांच चल रही है। दौरान, टनल के बाहर इंतजार कर रहे लोगों के मन में उम्मीद की किरण इधर-उधर दिखने लगी है। सबकी नजरें सरकारियों पर है जिन्हें इस मुश्किल समय में उन लोगों का स्तर बनाए रखना है।